Stem Cell Research Sparks Hope in Cancer & Blood Disorders
भारत और दुनियाभर में स्टेम सेल तकनीक को लेकर एक नई चेतना और उम्मीद की लहर फैल रही है। यह तकनीक न केवल दुर्लभ रक्त विकारों जैसे थैलेसीमिया, बल्कि कैंसर जैसे घातक रोगों के उपचार में भी बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखती है।
हाल ही में भारत में एक 10 वर्षीय बच्चे की जिंदगी पूरी तरह बदल गई जब उसे स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के जरिए थैलेसीमिया से राहत मिली। वर्षों तक खून चढ़वाने के बाद अब वह सामान्य जीवन जी रहा है। इसने भारत में स्टेम सेल डोनर नेटवर्क की भूमिका और इसकी आवश्यकता को दोहराया है।
स्टेम सेल रिसर्च में वैश्विक प्रगति
दुनिया भर के वैज्ञानिक अब ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं जिससे ब्लड-फॉर्मिंग स्टेम सेल्स (रक्त बनाने वाली मूल कोशिकाएं) को शरीर से बाहर लैब में बड़ी मात्रा में तैयार किया जा सके।
यह खोज उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है जिन्हें कीमोथेरेपी या बोन मैरो ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है।
पारंपरिक तौर पर, कीमोथेरेपी शरीर की रोगग्रस्त कोशिकाओं को तो नष्ट करती है, लेकिन यह बोन मैरो में मौजूद स्वस्थ स्टेम सेल्स को भी खत्म कर देती है। इससे मरीज की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है।
नई तकनीक इस समस्या का समाधान पेश करती है:
इलाज से पहले मरीज से कुछ स्टेम सेल्स निकालना।
उन्हें लैब में अत्यधिक संख्या में विकसित करना।
फिर उन्हें उपचार के बाद शरीर में पुनः प्रविष्ट कर देना।
इस तरह बोन मैरो को तेज़ी से पुनर्निर्मित किया जा सकता है, और रोगी को संक्रमण और अन्य जोखिमों से बचाया जा सकता है।
थैलेसीमिया और ब्लड डिसऑर्डर में स्टेम सेल की भूमिका
भारत में लाखों बच्चे थैलेसीमिया जैसी आनुवंशिक बीमारियों से पीड़ित हैं। इसमें शरीर लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता और मरीज को हर कुछ सप्ताह में रक्त चढ़वाना पड़ता है। लेकिन स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से इन मरीजों को स्थायी इलाज मिल सकता है।
ट्रांसप्लांट के लिए अनुकूल डोनर मिलना एक चुनौती है, लेकिन भारत में धीरे-धीरे डोनर रजिस्ट्रेशन बढ़ रहा है। इसमें युवाओं की भागीदारी सराहनीय है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट एक महंगा इलाज माना जाता है, लेकिन शोध और तकनीक के विस्तार से इसकी लागत में धीरे-धीरे गिरावट आने की उम्मीद है।
इसके बड़े पैमाने पर भारत में अपनाए जाने से होगा:
गंभीर बीमारियों का स्थायी समाधान
आयात पर निर्भरता में कमी
चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा
घरेलू बायोटेक और रिसर्च संस्थानों को बल
भविष्य की संभावनाएं
कैंसर की जटिल स्टेज में जहां कीमोथेरेपी की सीमाएं हैं, वहां स्टेम सेल सपोर्ट से मरीजों की रिकवरी दर बढ़ सकती है।
कुछ वर्षों में यह तकनीक सामान्य अस्पतालों में भी उपलब्ध हो सकती है, जैसा कि डायलिसिस या कीमोथेरेपी आज है।
स्टेम सेल बैंक और डोनर नेटवर्क के जरिए लाखों जिंदगियों को बेहतर बनाया जा सकता है।
स्टेम सेल रिसर्च अब सिर्फ विज्ञान की प्रयोगशाला तक सीमित नहीं रहा, यह आम लोगों की जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव लाने को तैयार है।
थैलेसीमिया, कैंसर, और अन्य रक्त विकारों से जूझ रहे लोगों के लिए यह एक नई सुबह का संकेत है — जहां इलाज के साथ जीने की उम्मीद भी मजबूत होती जा रही है।
– by Team KhabreeAdda.in





