Morning Sickness and Salt Cravings: Is There a Pregnancy Connection?
गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को सुबह की उल्टी (Morning Sickness) का अनुभव होता है — खासतौर पर पहले तीन महीनों में। साथ ही, कुछ महिलाएं इस दौरान नमक खाने की बहुत ज़्यादा इच्छा जताती हैं। क्या इन दोनों लक्षणों के बीच कोई वैज्ञानिक संबंध हो सकता है? हाल के अध्ययनों के अनुसार, इस बात की संभावना नज़र आती है कि मां के शरीर में होने वाले परिवर्तन, बच्चे के स्वाद के रुझानों को जन्म से पहले ही प्रभावित कर सकते हैं।
🤰 क्या कहती है नई रिसर्च?
शोधकर्ताओं ने यह पाया कि जब गर्भवती महिलाओं को अधिक उल्टियां होती हैं, तो उनके शिशुओं में बाद में नमक खाने की प्रवृत्ति अधिक देखी जाती है। कुछ प्रयोगों में शिशुओं को अलग-अलग नमक के घोल दिए गए, और जिन शिशुओं की माताओं को अधिक morning sickness थी, उन्होंने अधिक नमकीन घोल को प्राथमिकता दी।
इसका कारण शरीर में डिहाइड्रेशन और नमक (सोडियम) की कमी मानी जा रही है, जिससे कुछ विशेष हार्मोन निकलते हैं। ये हार्मोन मां के शरीर से भ्रूण तक पहुंच सकते हैं और बच्चे के दिमाग में स्वाद से जुड़ी प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं।
🧠 कैसे काम करता है यह प्रभाव?
गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में अधिक उल्टी शरीर में नमक और पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) कर सकती है।
यह शरीर को ऐसे हार्मोन रिलीज़ करने के लिए प्रेरित करता है जो नमक की ज़रूरत बढ़ा सकते हैं।
यह हार्मोन भ्रूण के दिमाग को प्रभावित कर सकते हैं और स्वाद पसंद को जन्म से पहले ही सेट कर सकते हैं।
🚫 जब नमक मिलना ही कठिन हो जाए
भारत और दुनिया के कई हिस्सों में, हर किसी को संतुलित आहार या भरपूर नमक नहीं मिलता। खासकर ग्रामीण या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की गर्भवती महिलाओं को आयोडीनयुक्त नमक और आवश्यक पोषक तत्वों की नियमित पहुंच नहीं होती। यह न केवल मां की सेहत पर असर डाल सकता है, बल्कि बच्चे के विकास पर भी।
आयोडीन की कमी से थायरॉइड संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं।
अत्यधिक कम या अत्यधिक ज्यादा नमक भी गर्भावस्था में जोखिम को बढ़ा सकता है।
सरकारी योजनाएं जैसे POSHAN Abhiyaan और जननी सुरक्षा योजना इस अंतर को पाटने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कई महिलाएं आज भी इनसे वंचित हैं।
👶 क्या यह जन्म के बाद की आदतों को भी प्रभावित करता है?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर गर्भावस्था के दौरान मां को नमक की भारी लालसा रही हो या शरीर में नमक की कमी रही हो, तो बच्चे को जन्म के बाद भी अधिक नमक खाने की प्रवृत्ति हो सकती है। यह जीवनभर की आदतों में तब्दील हो सकता है — जो आगे जाकर हाई ब्लड प्रेशर या अन्य हृदय संबंधी बीमारियों का कारण बन सकता है।
🔍 इसका समाधान क्या है?
गर्भावस्था में पोषण संतुलित होना ज़रूरी है, जिसमें नमक का भी उचित मात्रा में होना अनिवार्य है।
आयोडीनयुक्त नमक का उपयोग गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है।
सरकार और समाज को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ग्रामीण और निम्न आय वर्ग की महिलाओं को भी सुरक्षित पोषण मिले।
माताओं को जागरूक करने की ज़रूरत है कि अत्यधिक नमक की लालसा का संतुलन कैसे रखें।
गर्भावस्था सिर्फ एक शारीरिक परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह भविष्य की पीढ़ी की स्वाद प्राथमिकताओं, आदतों और सेहत की नींव रखती है। सुबह की बीमारी और नमक की लालसा जैसी सामान्य दिखने वाली बातें, शिशु के दिमाग और स्वाद की पसंद को प्रभावित कर सकती हैं। यह रिसर्च अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन यह दर्शाता है कि हमें गर्भवती महिलाओं के पोषण और स्वास्थ्य को लेकर बहुत अधिक सतर्क और सजग रहना चाहिए — ताकि भविष्य का भारत और भी स्वस्थ हो।
– by Team KhabreeAdda.in





