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बिक्रम मजीठिया की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट में सुनवाई…

High Court to hear Bikram Majithias plea against illegal arrest and…

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में शिरोमणि अकाली दल के नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया की “अवैध गिरफ्तारी और रिमांड” के खिलाफ दायर याचिका पर 4 जुलाई को सुनवाई होगी। यह याचिका भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सतर्कता ब्यूरो द्वारा दर्ज एफआईआर के बाद दायर की गई है। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित सुनवाई पर सहमति जताई है।


मुख्य घटनाक्रम:

  • सुनवाई न्यायमूर्ति त्रिभुवन दहिया की बेंच में होगी।

  • अदालत ने मजीठिया के वकील को नए रिमांड आदेश पेश करने के लिए एक दिन का समय दिया है।

  • मजीठिया ने याचिका में प्रारंभिक रिमांड आदेशों को “अवैध” बताया है।

  • बुधवार को उनकी रिमांड को चार दिनों के लिए बढ़ा दिया गया था।


मजीठिया की याचिका में मुख्य तर्क:

  • एफआईआर राजनीतिक विद्वेष और प्रतिशोध का परिणाम है, जिसका उद्देश्य उन्हें बदनाम करना है।

  • एफआईआर और गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन कर की गई थी।

  • उन्हें सुबह 9:00 बजे से 11:20 बजे तक अवैध हिरासत में रखा गया।

  • यह बात वीडियो रिकॉर्डिंग और रिमांड आदेश से साबित होती है।


संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन:

  • याचिका में कहा गया है कि गिरफ्तारी संविधान के अनुच्छेद 22(2) और बीएनएसएस की धारा 187 का उल्लंघन है, जिसमें 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने की आवश्यकता होती है।

  • रिमांड आवेदन में जांच का कोई ठोस आधार नहीं था; केवल सामान्य, अनुमानित आरोप लगाए गए।


अनुच्छेद 20(3) का उल्लंघन:

  • मजीठिया ने कहा कि जांच एजेंसियों का इरादा उनसे अनुच्छेद 20(3) के विरुद्ध इकबालिया बयान लेना था।

  • 2 जुलाई तक रिमांड देने का आदेश “स्पष्ट रूप से विकृत” और अस्पष्ट था।


मजिस्ट्रेट की भूमिका पर सवाल:

  • आदेश में यह संकेत तक नहीं था कि मजिस्ट्रेट ने न्यायिक विवेक का प्रयोग किया या सुप्रीम कोर्ट के पहले आदेशों पर विचार किया।

  • पहले समान तथ्यों पर हिरासत की मांग खारिज की जा चुकी थी।


सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी:

  • 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत में पूछताछ से इनकार कर दिया था और एसआईटी के साथ सहयोग का निर्देश दिया था, जिसे मजीठिया ने माना।

  • बावजूद इसके, राज्य ने तथ्यों को छिपाकर दोबारा पुलिस हिरासत मांगी।


यह मामला कानून के दुरुपयोग, रिमांड शक्तियों के गलत इस्तेमाल और स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा एक बड़ा मुद्दा बन गया है। मजीठिया ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह अवैध रिमांड आदेश रद्द करे और भविष्य में दुरुपयोग रोकने के निर्देश दे।

– by Team KhabreeAdda.in

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