Ranjit Sagar lake area yet to be developed as tourist…
पंजाब में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई रणजीत सागर झील पर्यटन परियोजना, कई वर्षों बाद भी अधूरी है। सरकारी प्रयासों और निजी क्षेत्र की रुचि के बावजूद, यह योजना ज़मीन पर उतर नहीं सकी। अब स्थानीय लोग सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।
एक महत्वाकांक्षी शुरुआत
नवंबर 2014 में, तत्कालीन एसएडी-बीजेपी सरकार ने इस परियोजना को तेजी देने के लिए देशभर के हॉस्पिटैलिटी उद्योग के प्रमुखों को चार्टर्ड विमान और हेलिकॉप्टर के माध्यम से रणजीत सागर बांध तक बुलाया। लक्ष्य था कि वे कलरा और मुशरबा जैसे द्वीपों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की संभावनाएं देखें।
सरकार का इरादा रणजीत सागर झील को प्रमुख पर्यटन केंद्र बनाना था।
इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई गति मिलने की उम्मीद थी।
निजी क्षेत्र की रुचि और भूमि की कीमतों में उछाल
शुरुआत में रियल एस्टेट डेवलपर्स की परियोजना में गहरी दिलचस्पी दिखी, जिससे आसपास के क्षेत्रों में ज़मीन की कीमतें बढ़ गईं। ऐसा लगने लगा कि यह क्षेत्र जल्द ही एक हॉट टूरिज़्म डेस्टिनेशन बन जाएगा।
सपना अधूरा क्यों रह गया?
उत्साह जल्द ही ठंडा पड़ गया।
तत्कालीन डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल ने इस प्रोजेक्ट को सिंगापुर और मलेशिया जैसे आधुनिक पर्यटन स्थलों की तरह विकसित करने का सपना देखा था। उन्होंने इस दिशा में सांसद और अभिनेता विनोद खन्ना का भी सहयोग लिया।
हालांकि, स्थानीय लोगों ने शुरुआत से ही इस परियोजना को नव-धनाढ्यों के लिए एक व्यवसायिक योजना बताया। सुखबीर बादल ने दो महीने में रोडमैप तैयार करने का वादा किया था, लेकिन ज़मीनी स्तर पर एक ईंट भी नहीं रखी गई।
बताया जाता है कि एक सर्वेक्षण में पता चला कि पर्यटक डलहौजी को प्राथमिकता देते हैं, जो पठानकोट से मात्र दो घंटे की दूरी पर है और सड़क संपर्क बेहतर है। इसी के बाद परियोजना में रुचि घट गई।
स्थानीय लोगों की मांग
अब स्थिति यह है कि जमीन की कीमतें फिर सामान्य हो चुकी हैं और परियोजना ठंडे बस्ते में है। स्थानीय निवासियों का मानना है कि राज्य सरकार को इस क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र से मदद लेनी चाहिए, न कि इसे पूरी तरह निजी हाथों में सौंप देना चाहिए।
लोगों का मानना है कि सरकारी हस्तक्षेप से परियोजना को फिर से दिशा मिल सकती है।
साथ ही, बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
क्या कोई उम्मीद बची है?
रणजीत सागर झील पर्यटन परियोजना एक उदाहरण है कि केवल घोषणाओं और समारोहों से विकास संभव नहीं होता। एक स्पष्ट रोडमैप, ज़मीनी तैयारी और समुदाय की भागीदारी के बिना कोई भी परियोजना सफल नहीं हो सकती।
अब देखना है कि क्या सरकार इस अधूरे सपने को साकार करने के लिए फिर से कोई कदम उठाएगी, या यह परियोजना इतिहास में सिर्फ एक भूली हुई योजना बनकर रह जाएगी।
– by Team KhabreeAdda.in





