The Genes Behind Obesity: When It’s Not Your Fault
नई वैज्ञानिक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि मोटापा सिर्फ ज्यादा खाने या कम चलने-फिरने का नतीजा नहीं है, बल्कि इसके पीछे हमारे जीन यानी आनुवंशिकी भी जिम्मेदार हो सकते हैं।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
विशेषज्ञों के अनुसार, हमारे शरीर में कुछ ऐसे जीन मौजूद होते हैं जो यह तय करते हैं कि हम कितनी जल्दी भूख महसूस करते हैं, हमारा मेटाबोलिज्म कितना तेज चलता है और शरीर कैलोरी को वसा में कितनी तेजी से बदलता है।
कुछ लोगों के पास “अच्छे जीन” होते हैं जो मोटापा बढ़ने से बचाते हैं।
वहीं कुछ के पास ऐसे जीन होते हैं जिनकी वजह से वे सामान्य जीवनशैली अपनाने के बावजूद मोटे हो जाते हैं।
डॉ. डेविड वेस्ट, जो अमेरिका के एक मोटापा विशेषज्ञ हैं, कहते हैं कि “कुछ लोग चाहे जितनी कोशिश करें, उनका शरीर आसानी से वजन नहीं घटने देता — यह जैविक वजहों से होता है।”
सेट पॉइंट थ्योरी: शरीर का वजन बनाए रखने की जिद
जब लोग वजन कम करते हैं, तो शरीर अपने पुराने वजन पर लौटने के लिए मेटाबोलिज्म को धीमा कर देता है।
यह सेट पॉइंट थ्योरी कहलाती है — यानी शरीर एक तय वजन को बनाए रखने की कोशिश करता है।
एक अध्ययन में देखा गया कि जिन लोगों ने अपने वजन का 10% घटाया, उनकी ऊर्जा खपत 15% कम हो गई — यानी शरीर ने खुद को अनुकूलित किया ताकि वजन फिर से बढ़ सके।
क्या वायरस भी है कारण?
University of Wisconsin के वैज्ञानिकों ने AD-36 वायरस की पहचान की है, जो मोटापे का एक कारण हो सकता है।
इस वायरस को जिन जानवरों में डाला गया, वे मोटे हो गए।
एक अध्ययन में पाया गया कि जिन मोटे लोगों की जांच हुई, उनमें से 15% के शरीर में AD-36 वायरस के एंटीबॉडी थे — दुबले लोगों में यह अनुपस्थित था।
हालांकि इसका स्पष्ट प्रमाण अभी नहीं मिला है, लेकिन यह संभावना जरूर जताई गई है कि कुछ वायरल संक्रमण मोटापे को बढ़ावा दे सकते हैं।
मोटापा सिर्फ थाली या सोफे की वजह से नहीं है। इसमें जीन, जीवनशैली और यहां तक कि वायरस भी भूमिका निभाते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम मोटे लोगों को जज करने से पहले उनके स्वास्थ्य इतिहास को समझें।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है, लेकिन अगर वजन नहीं घट रहा तो डॉक्टर से परामर्श लें और आनुवांशिक जांच करवाना भी एक विकल्प हो सकता है।
– by Team KhabreeAdda.in





