The Hidden Dangers of New Medicines: When Treatment Turns Risky
चमत्कारी दवाएं अक्सर मरीजों के लिए उम्मीद की किरण बनती हैं, लेकिन कभी-कभी यही दवाएं जानलेवा भी साबित हो सकती हैं। यह रिपोर्ट एक ऐसे मामले पर आधारित है जिसमें एक नई दवा ने एक बुज़ुर्ग मरीज की जान खतरे में डाल दी। यह घटना न केवल डॉक्टरों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि आम लोगों के लिए भी एक जरूरी सबक है।
नई दवा, अचानक बिगड़ती हालत
एक बुजुर्ग महिला को बार-बार चक्कर आने और बेहोश होने की शिकायत के बाद अस्पताल लाया गया। जांच में पाया गया कि उनकी दिल की गति बहुत धीमी हो गई थी। पहले से चल रहे इलाज के तहत उन्हें कुछ दिन पहले ही एक नई दवा दी गई थी, जो बाजार में हाल ही में आई थी।
दवा का संभावित दुष्प्रभाव
डॉक्टरों को संदेह हुआ कि यह नई दवा ही उनके दिल की गति में गिरावट की वजह हो सकती है। यह दवा एक कैल्शियम चैनल ब्लॉकर थी, जो दिल की धड़कनों को नियंत्रित करती है। लेकिन कुछ मामलों में यह दिल की गति को खतरनाक स्तर तक धीमा कर सकती है।
आपातकालीन इलाज के तहत उन्हें कैल्शियम का इंजेक्शन दिया गया, जिससे अस्थायी राहत मिली। पर सवाल बना रहा — क्या अब पेसमेकर लगाना पड़ेगा?
पेसमेकर का फैसला — जल्दबाज़ी या ज़रूरत?
मरीज और उनके परिजन बेहद डरे हुए थे और चाहते थे कि जल्द से जल्द पेसमेकर लगाया जाए ताकि फिर से कोई गंभीर स्थिति न बने। डॉक्टर असमंजस में थे — क्या दवा का असर खत्म होने तक इंतज़ार करना ठीक रहेगा? या फिर बिना देर किए स्थायी समाधान अपनाया जाए?
अंत में, दबाव के चलते पेसमेकर लगा दिया गया।
हकीकत सामने आई
कुछ हफ्ते बाद रिपोर्ट आई कि जिस दवा का इस्तेमाल किया गया था, उसे जानलेवा साइड इफेक्ट्स के कारण वैश्विक स्तर पर बाजार से हटा दिया गया है। यानी दवा ही असली समस्या थी — न कि मरीज की हालत।
भारत में क्यों ज़रूरी है जागरूकता?
भारत में भी विदेशी दवाएं तेजी से आती हैं और डॉक्टरों द्वारा प्रिस्क्राइब की जाती हैं। मगर ये दवाएं हर किसी के शरीर पर एक जैसे असर नहीं डालतीं। खासकर बुजुर्ग, पहले से बीमार या कई दवाएं ले रहे मरीजों में नई दवाओं के दुष्प्रभाव और अधिक खतरनाक हो सकते हैं।
मरीज और डॉक्टर दोनों के लिए सबक
डॉक्टरों को चाहिए कि हर नई दवा को सावधानी से अपनाएं और उसके बारे में पूरी जानकारी रखें।
मरीजों को चाहिए कि वे डॉक्टर से सवाल पूछें, दवा के असर और साइड इफेक्ट्स के बारे में खुलकर जानें।
इलाज में कोई भी फैसला जल्दबाज़ी में न लिया जाए।
सतर्क रहें, सुरक्षित रहें
इस घटना से यह स्पष्ट है कि किसी भी नई दवा को पूरी जांच और समझ के बिना शुरू करना खतरे से खाली नहीं है। डॉक्टरों की जिम्मेदारी है कि वे सावधानी से निर्णय लें, और मरीजों की जिम्मेदारी है कि वे जागरूक और सतर्क बनें।
— by Team KhabreeAdda.in





