Sukhbir Badal Declared ‘Tankhaiya’, Akal Takht Intervenes: Sikh Religious Tensions Escalate
सिख धर्म के धार्मिक संस्थानों में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सुखबीर सिंह बादल को ‘तनखैया’ घोषित करने के बाद अकाल तख्त ने हस्तक्षेप करते हुए न सिर्फ इस आदेश को रद्द कर दिया, बल्कि तख्त श्री पटना साहिब के तीन वरिष्ठ पुजारियों को ही ‘तनखैया’ करार दे दिया।
मामला क्या है?
तख्त श्री पटना साहिब के वरिष्ठ पुजारियों ने आरोप लगाया कि शिरोमणि अकाली दल (SAD) प्रमुख सुखबीर बादल ने उनके आंतरिक कार्यों में हस्तक्षेप किया और बुलावे के बावजूद पेश नहीं हुए। इसके बाद उन्हें ‘धार्मिक अपराधी’ यानी ‘तनखैया’ घोषित कर दिया गया।
अकाल तख्त ने क्या किया?
पंथक सर्वोच्चता के प्रतीक अकाल तख्त ने इस आदेश को नकारते हुए तख्त श्री पटना साहिब के तीन पुजारियों को ही ‘तनखैया’ घोषित कर दिया और 15 दिन में स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए। साथ ही, प्रबंधन समिति और अन्य संबंधितों को भी तलब किया गया है।
किन्हें किया गया तलब?
तख्त पटना साहिब के अतिरिक्त ग्रंथि भाई गुरदयाल सिंह
प्रबंधन समिति के सदस्य हरपाल सिंह जौहल, डॉ. गुरमीत सिंह
समिति के अध्यक्ष व पदाधिकारी — 15 दिन में पेश होने के निर्देश
SGPC और SAD का रुख
SGPC ने स्पष्ट किया कि धार्मिक मामलों पर अंतिम निर्णय का अधिकार केवल अकाल तख्त को है। SAD ने भी यही दोहराते हुए कहा कि सुखबीर बादल अकाल तख्त के आदेशों का पालन करेंगे।
पृष्ठभूमि
यह विवाद तब शुरू हुआ जब मई में सुखबीर को तख्त पटना साहिब द्वारा बुलाया गया। स्वास्थ्य कारणों से पेश नहीं हो सके, फिर 20 दिन का समय और मिला, लेकिन वे नहीं पहुंचे।
पहले भी रह चुका है विवाद
2024 में भी सुखबीर बादल को विवादित निर्णयों के चलते ‘तनखैया’ घोषित किया गया था। यहां तक कि हरमंदिर साहिब में सेवा के दौरान उन पर जानलेवा हमला भी हुआ था।
सिख संस्थानों में यह टकराव धार्मिक अधिकार, परंपरा और राजनीतिक हस्तक्षेप के जटिल पहलुओं को उजागर करता है। आगे की कार्रवाई अब अकाल तख्त के फैसलों पर निर्भर करेगी।
– by Team KhabreeAdda.in





