Nitish Kumar to remain NDA’s CM face in Bihar
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की अहमियत किसी से छिपी नहीं है। उनकी मजबूत पकड़ और जनता के बीच लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने आगामी विधानसभा चुनावों में उन्हें ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाए रखने का फैसला किया है। यह फैसला NDA की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है।
नीतीश कुमार का अटूट जनाधार
BJP के वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार का वोट बैंक आज भी मजबूत है।
“नीतीश कुमार का आधार बिल्कुल स्थिर है और वे NDA के नेता बने रहेंगे,” — एक वरिष्ठ BJP नेता
सीट बंटवारे पर सहमति का फार्मूला
सूत्रों के अनुसार, JD(U) और BJP के बीच लोकसभा सीटों के अनुपात को विधानसभा चुनावों में भी दोहराया जाएगा।
JD(U): 102-103 सीटें
BJP: 101-102 सीटें
शेष सीटें: LJP (रामविलास), HAM (मांझी), RLM (उपेन्द्र कुशवाहा) को मिल सकती हैं।
चिराग पासवान की भूमिका
जब LJP नेता चिराग पासवान की भूमिका पर सवाल उठा, तो BJP ने कहा:
“हर पार्टी को खुद को साबित करने का मौका है।”
चिराग पासवान ने खुद को CM उम्मीदवार मानने से इनकार करते हुए कहा कि वह NDA को मजबूत करने के लिए लड़ेंगे।
नीतीश कुमार का वोट बैंक
हालांकि नीतीश की जाति कुर्मी सिर्फ 2.87% है, लेकिन उन्होंने कुर्मी-कुशवाहा (7%) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC, 36%) को साध कर एक मजबूत आधार तैयार किया है।
जातीय समीकरणों का असर
2023 के बिहार जाति सर्वेक्षण के मुताबिक:
EBC: 36%
OBC: 27.13%
अनुसूचित जाति: 19.65%
सामान्य वर्ग: 15.52%
ST: 1.68%
मुस्लिम EBC: 10%
इसमें से लगभग 33% मतदाता नीतीश के परंपरागत आधार से आते हैं।
BJP की रणनीति
BJP जानती है कि नीतीश कुमार का वोट बैंक स्थिर है।
2020 में JD(U) को सिर्फ 43 सीटें मिली थीं, लेकिन उसका वोट शेयर 32.83% था।
यह नीतीश के समर्पित 33% मतदाता आधार को दर्शाता है।
2009, 2010, 2015, 2019 और 2020 में जिन चुनावों में NDA ने जीत हासिल की, उनमें नीतीश कुमार उनके साथ थे। केवल 2014 इसका अपवाद था।
NDA द्वारा नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री चेहरा बनाए रखना एक रणनीतिक और गणनात्मक फैसला है। जातीय समीकरण, स्थिर वोट बैंक और पिछली जीतों के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, यह कदम NDA को आगामी बिहार चुनावों में लाभ दिला सकता है।
– by KhabreeAdda.in





