IN-SPACe Facilitates Transfer of 10 ISRO Technologies to 6 Indian Industries
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित 10 महत्वपूर्ण तकनीकों को अब 6 भारतीय निजी उद्योगों को हस्तांतरित किया गया है। इस पहल का नेतृत्व इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) ने किया है। यह कदम भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
यह समझौता अपस्ट्रीम, मिडस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में निजी भागीदारी को बढ़ावा देगा, और यह खबर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ ISRO के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) के संचालन हेतु हालिया समझौते के बाद सामने आई है।
तकनीक हस्तांतरण का उद्देश्य:
इस पहल का मुख्य उद्देश्य ISRO द्वारा विकसित तकनीकों को निजी क्षेत्र के साथ साझा करना है ताकि:
भारतीय उद्योगों को अत्याधुनिक तकनीकें मिल सकें
वाणिज्यिक और रक्षा अनुप्रयोगों में इनका उपयोग बढ़ाया जा सके
विदेशी तकनीकों पर निर्भरता कम की जा सके
अंतरिक्ष और भू-स्थानिक क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहन मिल सके
समझौते पर हस्ताक्षर:
IN-SPACe, NewSpace India Limited (NSIL), और प्राप्तकर्ता कंपनियों के बीच त्रिपक्षीय तकनीकी हस्तांतरण समझौते (TTA) पर अहमदाबाद स्थित IN-SPACe मुख्यालय में हस्ताक्षर किए गए।
IN-SPACe अध्यक्ष का बयान:
IN-SPACe के अध्यक्ष डॉ. पवन गोयनका ने कहा:
“यह तकनीक हस्तांतरण निजी क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे भारत का अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होगा और उद्योग-आधारित नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।”
प्रमुख हस्तांतरित तकनीकें:
लेजर जाइरोस्कोप और सिरेमिक सर्वो एक्सेलेरोमीटर:
जेटाटेक टेक्नोलॉजीज प्रा. लि., हैदराबाद को प्रदान किया गया। इसका उपयोग प्रक्षेपण यानों में किया जाएगा।उन्नत ग्राउंड स्टेशन टेक्नोलॉजी:
जैसे एस/एक्स/केए बैंड फीड्स और ट्राई-एक्सिस एंटीना कंट्रोल सिस्टम – अवेंटेल और जिस्नु कम्युनिकेशंस को हस्तांतरित।कीट पूर्वानुमान और फसल उपज अनुमान मॉडल:
एम्नेक्स इन्फोटेक, अहमदाबाद को दिया गया – कृषि उपयोग हेतु।कॉम्पैक्ट बाथीमेट्री सिस्टम:
जल संसाधन निगरानी के लिए जलकृती जल सॉल्यूशंस को दिया गया।सिरेमिक आधारित लौह-रोधी कोटिंग तकनीक:
विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर द्वारा विकसित – रामदेव केमिकल्स, अहमदाबाद को प्रदान की गई।
आत्मनिर्भर भारत की ओर:
इन तकनीकों का भारत में स्थानांतरण, देश को विदेशी तकनीकों से मुक्त कर स्वदेशी क्षमताओं के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। IN-SPACe, ISRO और NSIL, इन तकनीकों के सफल उपयोग और व्यावसायीकरण के लिए उद्योगों को हरसंभव सहयोग देंगे।
यह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण न केवल भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को मजबूत करता है, बल्कि निजी क्षेत्र को भी वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करता है। यह भारत को स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक वैश्विक नेता बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
— by KhabreeAdda.in





