Victim can now directly appeal against acquittal before Sessions Court: HC
न्याय की राह होगी आसान, कोर्ट ने कहा – अब चेक बाउंस जैसे मामलों में नहीं लगेगी पूर्व अनुमति की शर्त
चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि आपराधिक मामलों में दोषमुक्ति के खिलाफ अब पीड़ित सीधे सत्र न्यायालय में अपील कर सकेंगे। इससे न्याय प्रक्रिया तेज होगी और वर्षों से लंबित मामलों के निपटारे में तेजी आएगी।
क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?
न्यायमूर्ति हरप्रीत सिंह बराड़ ने स्पष्ट किया कि अब पीड़ितों को हाईकोर्ट से पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। पहले यह प्रक्रियात्मक शर्त मुकदमे की गति को धीमा कर रही थी। अब चेक बाउंस जैसे मामलों में भी अपील सीधे सत्र अदालत में की जा सकेगी।
यह फैसला विशेष रूप से उन हजारों मामलों पर असर डालेगा जो CrPC की धारा 378(4) के तहत उच्च न्यायालय में अपील की अनुमति की प्रतीक्षा में हैं।
अदालतों पर बोझ कम करने की दिशा में कदम
न्यायमूर्ति बराड़ ने सुनवाई के दौरान बताया कि एक ही दिन की सूची में रखे गए 43 मामलों में से 10 सिर्फ अपील की अनुमति से जुड़े थे। एक मामला तो वर्ष 2016 से लंबित है, जिस पर अभी तक बहस शुरू नहीं हो सकी है।
उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे अधिकांश मामले चेक बाउंस कानून (NI Act की धारा 138) से संबंधित हैं, जिनमें विवाद की रकम अक्सर बहुत कम होती है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया लंबी और थकाऊ हो जाती है।
सुप्रीम कोर्ट की सोच के अनुरूप निर्णय
यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय के उस दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें कहा गया था कि पीड़ितों को ऐसी अपील के लिए विशेष अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। न्यायमूर्ति बराड़ ने इसे एक “प्रैक्टिकल दृष्टिकोण” बताते हुए कहा कि इससे पीड़ितों के वास्तविक जीवन के अनुभवों को स्वीकार किया गया है।
पीड़ितों के लिए राहत की उम्मीद
अदालत ने इसे न्याय के लिए इंतजार कर रहे हजारों लोगों के लिए “आशा की किरण” बताया। भविष्य में राज्य या निजी मामलों से जुड़े दोषमुक्ति के खिलाफ पीड़ित केवल सत्र न्यायालय में ही अपील कर सकेंगे।
यह फैसला ना केवल पीड़ितों को त्वरित न्याय का रास्ता दिखाता है, बल्कि अदालतों में बढ़ते मुकदमों के बोझ को कम करने में भी मदद करेगा। यह न्यायपालिका की पारदर्शिता और कुशलता की ओर एक सकारात्मक कदम है।
– Team KhabreeAdda.in





